इस्लामाबाद: पाकिस्तान ने रविवार को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर अफगानिस्तान का तालिबान प्रशासन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) और बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) जैसे आतंकी संगठनों को पनाह देता है, उन्हें समर्थन देना जारी रखता है, वो उसे दुश्मन माना जाएगा। पाकिस्तान विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी एक बयान में सख्त चेतावनी देते हुए कहा गया है कि "टीटीपी/एफएके (फितना अल-ख्वारिज) और बीएलए/एफएएच (फ़ितना अल-हिंदुस्तान) पाकिस्तान और उसके लोगों के घोषित दुश्मन हैं। जो कोई भी उन्हें पनाह देता है, उकसाता है या उन्हें फंड देता है, उसे पाकिस्तान और उसके लोगों का मित्र और शुभचिंतक नहीं माना जा सकता।"
पाकिस्तान की तरफ से ये चेतावनी तुर्की और कतर की मध्यस्थता में इंस्ताबुल में हुई बैठक के बाद आई है। पाकिस्तान और तालिबान, दोनों ने इंस्ताबुल में हुई बैठक को नाकाम कहा है। पाकिस्तान विदेश कार्यालय ने कहा कि पाकिस्तान, "अफगानिस्तान की धरती से उत्पन्न आतंकवाद के मूल मुद्दे" पर इस्लामाबाद और काबुल के बीच मतभेदों को दूर करने में मदद लिए कतर और तुर्की, दोनों भाईचारे वाले देशों के ईमानदार प्रयासों की "गहरी सराहना" करता है।
पाकिस्तान ने तालिबान को क्यों चेतावनी दी?
पाकिस्तान आरोप लगाता है कि 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से अफगानिस्तान की धरती से पाकिस्तान में होने वाले आतंकी हमलों में तेजी आई है। द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान विदेश मंत्रालय ने कहा कि "पाकिस्तान ने मानवीय सहायता, व्यापारिक रियायतें और वीजा सुविधा देकर अच्छे संबंधों की कोशिश की, लेकिन तालिबान की ओर से खोखले वादों और निष्क्रियता के सिवा कुछ नहीं मिला।" पाकिस्तान विदेश मंत्रालय ने आरोप लगाया कि तालिबान सरकार "आतंकवाद के मूल मुद्दे से ध्यान हटाने के लिए काल्पनिक चिंताएं" उठा रही है और पाकिस्तान की अपेक्षाओं को नजरअंदाज कर रही है।
पाकिस्तान ने आगे कहा है कि "पाकिस्तान अपने लोगों और अपनी सीमाओं की सुरक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएगा, जिननें बल प्रयोग जैसा आखिरी विकल्प भी शामिल है।" पाकिस्तान विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि तालिबान के भीतर ऐसे तत्व हैं जो पाकिस्तान से टकराव नहीं चाहते, लेकिन कुछ गुट "विदेशी ताकतों से प्रेरित" होकर तनाव बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। मंत्रालय ने तालिबान के इस दावे को भी खारिज किया कि पाकिस्तान की अफगान नीति पर देश के भीतर मतभेद हैं। बयान में कहा गया, "पाकिस्तान की जनता अपने सशस्त्र बलों के साथ एकजुट है और आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष जारी रहेगा।"
पाकिस्तान की तरफ से ये चेतावनी तुर्की और कतर की मध्यस्थता में इंस्ताबुल में हुई बैठक के बाद आई है। पाकिस्तान और तालिबान, दोनों ने इंस्ताबुल में हुई बैठक को नाकाम कहा है। पाकिस्तान विदेश कार्यालय ने कहा कि पाकिस्तान, "अफगानिस्तान की धरती से उत्पन्न आतंकवाद के मूल मुद्दे" पर इस्लामाबाद और काबुल के बीच मतभेदों को दूर करने में मदद लिए कतर और तुर्की, दोनों भाईचारे वाले देशों के ईमानदार प्रयासों की "गहरी सराहना" करता है।
पाकिस्तान ने तालिबान को क्यों चेतावनी दी?
पाकिस्तान आरोप लगाता है कि 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से अफगानिस्तान की धरती से पाकिस्तान में होने वाले आतंकी हमलों में तेजी आई है। द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान विदेश मंत्रालय ने कहा कि "पाकिस्तान ने मानवीय सहायता, व्यापारिक रियायतें और वीजा सुविधा देकर अच्छे संबंधों की कोशिश की, लेकिन तालिबान की ओर से खोखले वादों और निष्क्रियता के सिवा कुछ नहीं मिला।" पाकिस्तान विदेश मंत्रालय ने आरोप लगाया कि तालिबान सरकार "आतंकवाद के मूल मुद्दे से ध्यान हटाने के लिए काल्पनिक चिंताएं" उठा रही है और पाकिस्तान की अपेक्षाओं को नजरअंदाज कर रही है।
पाकिस्तान ने आगे कहा है कि "पाकिस्तान अपने लोगों और अपनी सीमाओं की सुरक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएगा, जिननें बल प्रयोग जैसा आखिरी विकल्प भी शामिल है।" पाकिस्तान विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि तालिबान के भीतर ऐसे तत्व हैं जो पाकिस्तान से टकराव नहीं चाहते, लेकिन कुछ गुट "विदेशी ताकतों से प्रेरित" होकर तनाव बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। मंत्रालय ने तालिबान के इस दावे को भी खारिज किया कि पाकिस्तान की अफगान नीति पर देश के भीतर मतभेद हैं। बयान में कहा गया, "पाकिस्तान की जनता अपने सशस्त्र बलों के साथ एकजुट है और आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष जारी रहेगा।"
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