इस्लामाबाद: सिंधु जल संधि को स्थगित किए जाने के भारत के फैसले के बाद से ही पाकिस्तान बौखलाया हुआ है। इस बीच भारत ने एक और ऐसा कदम उठाया है जो पाकिस्तान की नींद उड़ाने वाला है। भारत ने जम्मू-कश्मीर में तुलबुल नेविगेशन प्रोजेक्ट को फिर से पुनर्जीवित करने का फैसला किया है। अप्रैल में सिंधु जल संधि को स्थगित किए जाने के बाद यह भारत का पहला बड़ा कदम है। पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने का काम शुरू हो गया है।
भारत ने यह फैसला लेकर साफ कर दिया है कि सिंधु जल संधि को स्थगित किए जाने का फैसला केवल दिखाने के लिए नहीं है, बल्कि पाकिस्तान के खिलाफ नई दिल्ली के पास पूरी प्लानिंग तैयार है। तुलबुल नेविगेशन प्रोजेक्ट को जम्मू और कश्मीर के सोपोर में झेलम नदी पर एक भंडारण सुविधा स्थापित करने के लिए डिजाइन किया गया था। इसे वुलर बैराज के नाम से भी जाना जाता है। इसे सर्दियों के महीने (अक्टूबर-फरवरी) के दौरान झेलम नहीं पर नेविगेशन की सुविधा के लिए इस्तेमाल किया जाना था, लेकिन सिंधु जल संधि का हवाला देते हुए पाकिस्तान ने इसे रोक दिया था।
भारत के लिए क्यों है खास?
पाकिस्तान की आपत्ति के बाद से साल 1987 में इस परियोजना पर काम रोक दिया गया था। पहलगाम आतंकी हमले के बाद सिंधु जल समझौते पर रोक लगाए जाने के बाद से ही एक्सपर्ट इसे शुरू करने पर जोर दे रहे थे। 4.5 फीट ड्राफ्ट के साथ तुलबुल परियोजना से श्रीनगर और बारामुला के बीच आवाजाही में भी मदद मिलेगी। परियोजना के अन्य लाभों में हाइड्रो पावर का उत्पादन, अंतरदेशीय परिवहन शामिल हैं।
पाकिस्तान ने बार-बार अड़ाई टांग
तुलबुल परियोजना पर चार दशक पहले 1984 में काम शुरू हुआ था। पाकिस्तान की आपत्तियों के बाद एक बार काम रोका गया। बाद में 1986 में फिर से काम शुरू हुआ, तो इस्लामाबाद ने सिंधु जल आयोग के समक्ष चिंता जताई। आखिरकार कई आपत्तियों के बाद भारत ने इस परियोजना को छोड़ दिया।
पाकिस्तान का कहना है कि तुलबुल परियोजना सिंधु जल समझौते द्वारा निर्धारित शर्तों का उल्लंघन है। वहीं, नई दिल्ली का कहना है कि उसे अपने भौगोलिक सीमाओं के भीतर प्राकृतिक संसाधनों के साथ कुछ भी करने का पूरा अधिकार है। इसके अलावा संधि ने नई दिल्ली को गैर-उपभोग उद्येश्यों के लिए नदियों के उपयोग का अधिकार दिया है। ऐसे में तुलबुल प्रोजेक्ट भारत के लक्ष्य के अनुरूप है, जिसे भारत हासिल करना चाहता है।
पाकिस्तान को सता रहा खौफ
भारत की योजना के बाद से ही पाकिस्तान को खौफ सताने लगा है। इसी सप्ताह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अपने देश में जल भंडारण की क्षमता को बढ़ाने पर जोर दिया है। इसे भारत के पानी रोकने के फैसले के डर के रूप में देखा जा रहा है। दरअसल, पाकिस्तान को डर सता रहा है कि अगर भारत ने पानी रोका तो उससे निपटने के लिए उसे क्या उपाय करना होगा।
भारत ने यह फैसला लेकर साफ कर दिया है कि सिंधु जल संधि को स्थगित किए जाने का फैसला केवल दिखाने के लिए नहीं है, बल्कि पाकिस्तान के खिलाफ नई दिल्ली के पास पूरी प्लानिंग तैयार है। तुलबुल नेविगेशन प्रोजेक्ट को जम्मू और कश्मीर के सोपोर में झेलम नदी पर एक भंडारण सुविधा स्थापित करने के लिए डिजाइन किया गया था। इसे वुलर बैराज के नाम से भी जाना जाता है। इसे सर्दियों के महीने (अक्टूबर-फरवरी) के दौरान झेलम नहीं पर नेविगेशन की सुविधा के लिए इस्तेमाल किया जाना था, लेकिन सिंधु जल संधि का हवाला देते हुए पाकिस्तान ने इसे रोक दिया था।
भारत के लिए क्यों है खास?
पाकिस्तान की आपत्ति के बाद से साल 1987 में इस परियोजना पर काम रोक दिया गया था। पहलगाम आतंकी हमले के बाद सिंधु जल समझौते पर रोक लगाए जाने के बाद से ही एक्सपर्ट इसे शुरू करने पर जोर दे रहे थे। 4.5 फीट ड्राफ्ट के साथ तुलबुल परियोजना से श्रीनगर और बारामुला के बीच आवाजाही में भी मदद मिलेगी। परियोजना के अन्य लाभों में हाइड्रो पावर का उत्पादन, अंतरदेशीय परिवहन शामिल हैं।
पाकिस्तान ने बार-बार अड़ाई टांग
तुलबुल परियोजना पर चार दशक पहले 1984 में काम शुरू हुआ था। पाकिस्तान की आपत्तियों के बाद एक बार काम रोका गया। बाद में 1986 में फिर से काम शुरू हुआ, तो इस्लामाबाद ने सिंधु जल आयोग के समक्ष चिंता जताई। आखिरकार कई आपत्तियों के बाद भारत ने इस परियोजना को छोड़ दिया।
पाकिस्तान का कहना है कि तुलबुल परियोजना सिंधु जल समझौते द्वारा निर्धारित शर्तों का उल्लंघन है। वहीं, नई दिल्ली का कहना है कि उसे अपने भौगोलिक सीमाओं के भीतर प्राकृतिक संसाधनों के साथ कुछ भी करने का पूरा अधिकार है। इसके अलावा संधि ने नई दिल्ली को गैर-उपभोग उद्येश्यों के लिए नदियों के उपयोग का अधिकार दिया है। ऐसे में तुलबुल प्रोजेक्ट भारत के लक्ष्य के अनुरूप है, जिसे भारत हासिल करना चाहता है।
पाकिस्तान को सता रहा खौफ
भारत की योजना के बाद से ही पाकिस्तान को खौफ सताने लगा है। इसी सप्ताह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अपने देश में जल भंडारण की क्षमता को बढ़ाने पर जोर दिया है। इसे भारत के पानी रोकने के फैसले के डर के रूप में देखा जा रहा है। दरअसल, पाकिस्तान को डर सता रहा है कि अगर भारत ने पानी रोका तो उससे निपटने के लिए उसे क्या उपाय करना होगा।
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