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गाजा पर इजरायल का भीषण हमला, ट्रंप के गाजा पीस प्लान पर क्यों उठे सवाल... भारतीय एक्सपर्ट ने समझाया

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तेल अवीव/नई दिल्ली: गाजा को लेकर ट्रंप की शांति योजना एक बार फिर सवालों के घेरे में है। बीस सूत्रीय योजना को जिस तरह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से पेश किया गया , उसने शांति को लेकर उम्मीदें जताई थी । लेकिन, ये भी सवाल उठाए थे कि क्या यह योजना स्थायी शांति कायम करेगी। अब साफ है कि तीन हफ्ते पहले दुनिया के सामने आए और हमास की ओर से मंजूर हुए गाजा पीस प्लान पर अब खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। हालांकि राष्ट्रपति ट्रंप कह रहे हैं कि इस योजना पर कोई आंच नहीं आएगी। लेकिन इजरायल और हमास, दोनों ने ही एक दूसरे पर सीजफायर तो़ड़ने के आरोप लगाए हैं। ऐसे में कुछ सवाल तो हैं।

भारतीय एक्सपर्ट ने क्या कहा
अंतर्राष्ट्रीय मामलों के जानकार अनिल त्रिगुणायत कहते हैं कि ये सही है कि पहली बार अमेरिका की ओर से इस दिशा में एक गंभीर प्रयास दिखा हैं। लेकिन, इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का अड़ियल रवैया दिक्कत दे रहा है। चाहे बात मृतक बंधकों के शवों को लेकर हो या फिर गाजा की सिक्योरिटी से जुड़े मुद्दा। लेकिन उम्मीद है कि सीजफायर उल्लंघन के आरोप शांति की दीर्घकालिक योजना में ज्यादा महत्व नहीं रखेंगे।


गाजा की म़ॉनिटरिंग पर सवाल

ट्रंप की गाजा शांति योजना में गाजा का मैनेजमेंट एक अंतर्राष्ट्रीय इकाई में किए जाने की बात की गई है। लेकिन स्थानीय प्रशासन फिलिस्तीनियों के हाथ में ही होगा। गाजा में राजनीतिक संवाद और पुननिर्माण को लेकर होने वाले सवालों को लेकर कई अनसुलझी कड़ियां हैं। इसके लिए कौन फंडिंग करेगा, किसी पक्ष की ओर से किसी तरह का आश्वासन नहीं दिख रहा।

जॉर्डन के किंग ने भी उठाए सवाल
जॉर्डन के किंग ने हाल ही में गाजा के भीतर अंतर्राष्ट्रीय सेना की तैनाती को लेकर सवाल उठाए हैं, उन्होंने हाल ही में एक इंटरव्यू में कहा कि उम्मीद करते हैं कि गाजा के भीतर शांति कायम रखने का होगा क्योंकि अगर बात शांति लागू करने की है तो वहां तक ठीक है, क्योंकि कोई भी देश गाजा में हथियारों के साथ पेट्रोलिंग की स्थिति को लेकर कोई भी देश सहज नहीं है। दरअसल ट्रंप पीस प्लान में इंटरनेशनल स्टैबिलाइजेशन फोर्स के रोल को लेकर पूरी तरह स्पष्टता नहीं है। इसमें अब इंडोनेशिया जैसे देशों की मदद की भी बात सामने आ रही है।

गाजा विवाद का कैसे होगा समाधान
इस योजना में हमास के हथियार डालने से लेकर टू स्टेट सॉल्यूशन तक के रोडमैप को लेकर कुछ साफ-साफ नहीं कहा गया है। जानकार शुरूआत से ही हमास के हथियार डालने से जुड़ी धारा को पहले से शंका जता रहे थे। ऐसे में यह साफ है कि अंतर्राष्ट्रीय दबाव के चलते भले ही दोनों पक्षों ने अमेरिका के पीस प्लान पर उस वक्त मुहर लगाई हो, लेकिन अब तीन हफ्तों बाद इसे लेकर राजनीतिक सदेच्छा और जमीनी हकीकत इसके खिलाफ़ दिखाई पड़ती हैं।
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