सीएम एन बीरेन सिंह का वायरल ऑडियो क्लिप: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि मणिपुर से वायरल ऑडियो पर फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी की रिपोर्ट तैयार है और जल्द से जल्द रिपोर्ट कोर्ट में पेश की जाएगी। ऑडियो क्लिप में पूर्व मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह की आवाज सुनाई दे रही है और वह लोगों को हिंसा के लिए उकसा रहे हैं। जबकि केंद्र सरकार ने कहा, ‘रिपोर्ट तैयार है और इसे जल्द ही सीलबंद लिफाफे में अदालत को सौंप दिया जाएगा।’
सुनवाई 5 मई को होगी।
सीजेआई संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से पेश वकीलों की दलीलों को स्वीकार कर लिया और सुनवाई 5 मई तक के लिए स्थगित कर दी। कुकी मानवाधिकार संगठन (कोहूर) की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में आरोप लगाया गया था कि ‘वायरल ऑडियो क्लिप में पूर्व मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह की आवाज है।’ पार्टी में बढ़ते विद्रोह और असंतोष को देखते हुए एन. बीरेन सिंह ने पिछले साल फरवरी में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मई 2023 में शुरू हुई यौन हिंसा में बीरेन सिंह की संलिप्तता का आरोप लगाने वाली लीक हुई ऑडियो क्लिप की सत्यता पर सीएफएसएल से सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट मांगी थी। कोहूर की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने बीरेन सिंह की कथित भूमिका की अदालत की निगरानी में एसआईटी जांच की मांग की।
‘यह बिरेन सिंह की 93 प्रतिशत तक आवाज है’
अधिवक्ता भूषण ने कहा, ‘एक लैब ने पुष्टि की है कि यह बीरेन सिंह की 93 प्रतिशत आवाज है और यह एफएसएल रिपोर्ट से कहीं अधिक विश्वसनीय है। दरअसल, पिछले साल 8 नवंबर को पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कोहूर को लीक हुए ऑडियो क्लिप की प्रामाणिकता साबित करने के लिए सामग्री पेश करने का निर्देश दिया था।
भूषण ने कहा, ‘वह प्रारूप में सीडी की एक प्रति भी दाखिल करेंगे।’ रिकॉर्ड की गई बातचीत से प्रथम दृष्टया कुकी समुदाय के खिलाफ हिंसा में राज्य मशीनरी की मिलीभगत और संलिप्तता का पता चलता है। क्लिप में परेशान करने वाली बात यह है कि बीरेन सिंह को हिंसा भड़काते और हमलावरों का बचाव करते सुना जा सकता है।
मणिपुर में पिछले 2 वर्षों से हिंसा
मणिपुर पिछले दो वर्षों से लैंगिक संघर्ष का सामना कर रहा है। मई 2023 में शुरू हुए इस संघर्ष में 250 से अधिक लोग मारे गए हैं और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं। यह तनाव मुख्य रूप से इम्फाल घाटी में रहने वाले मैताई समुदाय और आसपास की पहाड़ियों में रहने वाले कुकी समुदाय के बीच है। पिछले वर्ष बहुसंख्यक मैताई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग को लेकर आयोजित एकता मार्च के बाद शुरू हुई यौन हिंसा आज भी जारी है।
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