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राजीव कृष्ण: उत्तर प्रदेश के नए डीजीपी की कहानी

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राजीव कृष्ण का अनोखा पुलिसिंग सफर

उत्तर प्रदेश के नए पुलिस महानिदेशक, राजीव कृष्ण, ने अपने कार्यकाल में कुछ अनोखी पुलिसिंग तकनीकों का उपयोग किया है। आगरा में एसएसपी के रूप में उनकी कार्यशैली ने उन्हें काफी चर्चा में ला दिया था। इसके अलावा, उन्होंने बीहड़ में सक्रिय अपहरण गिरोहों के खिलाफ की गई कार्रवाई से भी सुर्खियां बटोरी थीं।


लखनऊ में जन्मे राजीव कृष्ण

राजीव कृष्ण का जन्म 20 जून 1969 को लखनऊ में हुआ। उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन में बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की। ग्रेजुएशन के बाद, उन्होंने 1991 में संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास की और आईपीएस अधिकारी के रूप में चयनित हुए।


आगरा में एसएसपी के रूप में उनकी उपलब्धियां

वर्ष 2004 में आगरा में एसएसपी के रूप में राजीव कृष्ण ने अपराधियों के खिलाफ कई विशेष अभियानों का संचालन किया। उन्होंने बीहड़ में सक्रिय अपहरण गिरोहों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई की, जिसके लिए उन्हें जाना जाता है। पिछले साल, उन्हें एडीजी आगरा से डीजी विजिलेंस के पद पर नियुक्त किया गया।


डीजी पद पर प्रमोशन की यात्रा

राजीव कृष्ण को 7 अगस्त 2007 को डीआईजी के पद पर पदोन्नत किया गया। इसके बाद, 9 नवंबर 2010 को उन्हें आईजी के रूप में पदोन्नति मिली। 1 जनवरी 2016 को उन्हें एडीजी बनाया गया और फिर 1 फरवरी 2025 को उन्हें डीजी के पद पर प्रमोट किया गया।


डीजीपी बनने से पहले की जिम्मेदारियां

राजीव कृष्ण 1991 बैच के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी हैं। वर्तमान में, वे यूपी पुलिस में डीजी के पद पर कार्यरत हैं और पहले डीजी विजिलेंस के रूप में कार्य कर रहे थे। इसके साथ ही, यूपी पुलिस भर्ती बोर्ड की जिम्मेदारी भी उनके पास है।


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