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इस मंदिर के साथ रखी गई थी टोंक की जामा मस्जिद की नींव, वीडियो में देखे ऐतिहासिक निर्माण और गंगा-जमुनी तहजीब की अनोखी मिसाल

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गंगा जमुनी तहजीब के शहर टोंक में मौजूद दिल्ली और आगरा की मस्जिदों की तर्ज पर राजस्थान की सबसे बड़ी शाही जामा मस्जिद मौजूद है, जो सौहार्द का संदेश देती है। जब टोंक नवाब अमीर खां ने इसकी नींव रखी थी, उसी दिन हिंदुओं की प्रार्थना के लिए पास में ही रघुनाथ जी का मंदिर भी बनवाया था। आज भी धार्मिक आस्था के इन दोनों केंद्रों से यहां के लोगों द्वारा प्रेम, भाईचारे और सौहार्द का संदेश दिया जा रहा है।


नवाब अमीर खां ने करवाया था इसका निर्माण

टोंक के पहले नवाब अमीर खां ने अपने राज्य टोंक में शाही जामा मस्जिद का निर्माण शुरू करने के लिए 1817 में इसकी नींव रखी थी। साथ ही उसी दिन थोड़ी दूरी पर रघुनाथ जी के मंदिर की नींव रखकर दोनों धार्मिक स्थलों का निर्माण शुरू किया गया था। बताया जाता है कि मस्जिद के लिए इस मस्जिद में करीब 72 दुकानें भी बनाई गई थीं, जिनमें से आज भी करीब 50 दुकानें सालों से हिंदू किराएदारों के पास हैं। हिंदू मस्जिद की दुकानों में बैठकर अपना कारोबार करते हैं।

रघुनाथ जी मंदिर में धूमधाम से होती है पूजा-अर्चना
टोंक नवाब अमीर खां ने जामा मस्जिद के साथ ही रघुनाथ जी मंदिर का निर्माण कराया और टोंक के बाहर से लाए गए महंत परिवारों को जागीरदारी दी। आज बड़ा तख्ता में मौजूद रघुनाथ जी का यह मंदिर आस्था का केंद्र है। जहां साल भर धार्मिक आयोजन, पूजा-अर्चना और अनुष्ठान चलते रहते हैं। यहां हर दिन लोग पूजा-अर्चना करने आते हैं। साथ ही सावन के महीने में झांकियों का आयोजन और समय-समय पर कथा आदि का आयोजन होता है और इसी मंदिर परिसर में निर्माण के समय खोदा गया पानी के लिए कुआं आज भी मौजूद है। मंदिर के महंत कहते हैं कि टोंक नवाब ने हमें यहां लाकर बसाया और यहीं जागीर है।

ऊंची मीनारें हैं आकर्षण का केंद्र
आज इस जामा मस्जिद में बच्चे आंखों में सुनहरे भविष्य के सपने लिए दीनी और दुनियावी शिक्षा लेते नजर आते हैं अगर मुगल शैली में बनी शाही जामा मस्जिद की बात करें तो यह मस्जिद अपनी भव्यता के साथ-साथ दूर से दिखाई देने वाली चार ऊंची मीनारों, मीनाकारी और सोने के काम के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र है।

टोंक की धरती ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं
टोंक, जिसमें बनास नदी की स्वच्छ धारा जीवन तत्व को प्रभावित करती है। टोंक की इस धरती ने यहां से न जाने कितने कारवां गुजरते देखे हैं, कितनी सेनाएं बनास नदी के किनारे उतरी हैं, कितने राजाओं, बादशाहों, सामंतों, राज्यपालों ने यहां अपने झंडे फहराए हैं। वहीं दूसरी ओर सुल्तान महमूद गजनवी, मोहम्मद गौरी, अल-ततमस, बलबन, अलाउद्दीन और तुगलक की सेनाएं यहां से गुजरीं, यह शहर आबाद होता रहा, उजड़ता रहा और फलता-फूलता रहा। 1817 से 1947 तक टोंक में नवाबी शासन रहा। शाही जामा मस्जिद नवाबी काल की इमारतों में से एक है।

गंगा जमुनी तहजीब का शहर
टोंक में आज भी ऐसे कई उदाहरण देखने को मिलते हैं। जहां अज़ान और आरती एक साथ होती है, मंदिर और मस्जिद के बीच सिर्फ़ एक दीवार है। नोगजा बाबा की दरगाह पर हर साल मेला लगता है, हिंदू वहां जाकर फूल और चादर चढ़ाते हैं। ऐसे शहर टोंक की जामा मस्जिद और रघुनाथ जी का प्रेम और भाईचारे का संदेश आज भी हम सबके लिए प्रेरणास्रोत है।

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