देश में घरेलू हिंसा के मामलों में कमी का कोई संकेत नहीं मिल रहा है। ताज़ा मामला कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले से सामने आया है, जहां एक व्यक्ति ने शराब के नशे में अपनी पत्नी पर इस कदर हमला किया कि उसका चेहरा बुरी तरह जख्मी हो गया। आरोपी ने न केवल पत्नी की पिटाई की, बल्कि उसके गाल और आंखें दांतों से काट लीं। जब उनकी बेटी मां को बचाने आई, तो उसे भी बेरहमी से पीटा गया।
सोमवार रात की दिल दहला देने वाली घटनायह घटना सोमवार रात की है, जब बेलथांगडी इलाके के रहने वाले 55 वर्षीय सुरेश का अपनी पत्नी से किसी बात को लेकर झगड़ा हुआ। झगड़े के दौरान सुरेश ने हेलमेट और हाथों से पत्नी को पीटना शुरू कर दिया। मामला तब और गंभीर हो गया जब उसने अपनी पत्नी के चेहरे पर दांतों से हमला कर दिया।
बेटी को भी नहीं छोड़ाघटना के वक्त उनकी बेटी वहीं मौजूद थी। जब उसने मां को बचाने की कोशिश की, तो नशे में धुत सुरेश ने बेटी को भी बुरी तरह पीट दिया। बेटी किसी तरह खुद को बचाकर घर से भाग निकली। मंगलवार सुबह महिला बेहोशी की हालत में पड़ी मिली, जिसके बाद पड़ोसियों ने पुलिस को सूचना दी।
पुलिस की कार्रवाईदक्षिण कन्नड़ के पुलिस अधीक्षक रश्यंत ने घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि सुरेश ने पत्नी के साथ हाथ, हेलमेट और दांतों से हमला किया, जिससे वह बुरी तरह घायल हो गई। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 323 (चोट पहुँचाना), 324 (खतरनाक हथियार से हमला), 326 (गंभीर चोट), 504 (शांति भंग के उद्देश्य से अपमान), और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत मामला दर्ज कर लिया है।
अस्पताल में इलाज जारीफिलहाल पीड़िता और उसकी बेटी को स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उनका इलाज चल रहा है। डॉक्टरों के मुताबिक, महिला के चेहरे पर गहरे घाव हैं और उसकी आंखों के पास की हड्डियां भी प्रभावित हुई हैं। वहीं बेटी को भी माथे और हाथों में चोटें आई हैं।
आसपास के लोग सहमेइस खौफनाक घटना के बाद बेलथांगडी इलाके में लोगों में भय और गुस्सा दोनों का माहौल है। पड़ोसियों ने बताया कि सुरेश अक्सर शराब के नशे में रहता था और पहले भी पत्नी से मारपीट करता रहा है, लेकिन इस बार उसने हदें पार कर दीं।
घरेलू हिंसा की बढ़ती घटनाएं – एक सामाजिक कलंकयह घटना केवल एक परिवार की कहानी नहीं है, बल्कि देशभर में फैले उस घरेलू आतंक की झलक है, जिससे महिलाएं आज भी जूझ रही हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट के अनुसार, हर 3 में से 1 महिला को कभी न कभी घरेलू हिंसा का सामना करना पड़ा है। और ज़्यादातर मामलों में शराब और पितृसत्तात्मक सोच बड़ी वजह होती है।
कानून तो हैं, लेकिन डर नहींहालांकि देश में घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 के तहत महिलाओं को सुरक्षा देने का कानून है, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि अधिकांश पीड़िताएं डर, सामाजिक दबाव या आर्थिक निर्भरता के चलते शिकायत ही नहीं कर पातीं। और जो महिलाएं हिम्मत करके शिकायत करती हैं, उन्हें भी अक्सर प्रशासनिक लापरवाही या पारिवारिक दबाव का सामना करना पड़ता है।
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