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साल की पहली सोमवती अमावस्या कब, जानें तारीख, पूजन विधि और स्नान-दान का शुभ मुहूर्त

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हिंदू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष की पहली सोमवती अमावस्या एक बेहद शुभ संयोग में आने जा रही है। यह तिथि 26 मई 2025, सोमवार को पड़ रही है। विशेष बात यह है कि इस दिन वट सावित्री व्रत और शनि जयंती का भी संयोग बन रहा है, जिससे सोमवती अमावस्या का महत्व और अधिक बढ़ गया है। यह दिन विवाहित महिलाओं के लिए अत्यंत फलदायी होता है, क्योंकि इस दिन व्रत और पूजा से सौभाग्य, सुख और पति की दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

क्या है सोमवती अमावस्या?

सोमवती अमावस्या उस अमावस्या तिथि को कहते हैं जो सोमवार के दिन पड़ती है। यह योग अत्यंत दुर्लभ होता है और साल में केवल दो बार ही बनता है। इस वर्ष 2025 में पहली सोमवती अमावस्या 26 मई को और दूसरी 20 अक्टूबर को पड़ने वाली है। मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान, दान-पुण्य और भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और पितृ दोष भी समाप्त होता है।

तिथि और शुभ मुहूर्त
  • अमावस्या प्रारंभ: 26 मई 2025, सोमवार – दोपहर 12:12 बजे

  • अमावस्या समाप्त: 27 मई 2025, मंगलवार – सुबह 08:32 बजे

शास्त्रीय मान्यता के अनुसार, अगर सोमवार के दिन सूर्यास्त से पूर्व अमावस्या की तिथि विद्यमान हो, तो वह सोमवती अमावस्या मानी जाती है। इसी वजह से 26 मई को यह पुण्य अवसर प्राप्त हो रहा है।

पूजा और व्रत का महत्त्व

इस दिन विवाहित महिलाएं पति की लंबी उम्र और वैवाहिक सुख के लिए व्रत रखती हैं। भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा की जाती है। वट सावित्री व्रत के चलते महिलाएं वट वृक्ष (बरगद का पेड़) की परिक्रमा कर कच्चा सूत लपेटती हैं और चना, गुड़, दूध से अर्घ्य देती हैं।

पूजन विधि:

  • प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

  • शिव-पार्वती की मूर्ति या तस्वीर की पूजा करें।

  • शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र और मौसमी फल अर्पित करें।

  • व्रतधारी महिलाएं वट वृक्ष की 108 बार परिक्रमा करें और कच्चा सूत लपेटें।

  • भगवान शिव को दूध, गुड़ और काले चने अर्पित करें।

  • सोमवती अमावस्या व्रत कथा का पाठ या श्रवण करें।

  • स्नान और दान का शुभ समय

    पितृों को प्रसन्न करने के लिए सोमवती अमावस्या के दिन मध्याह्न काल में पूजा, पिंडदान और तर्पण करना विशेष रूप से फलदायी माना गया है। हालांकि, 27 मई की सुबह 8:32 बजे तक अमावस्या तिथि होने के कारण भौमवती अमावस्या का संयोग भी बन रहा है, जो विशेष पुण्यदायी है।

    निष्कर्ष

    इस वर्ष की पहली सोमवती अमावस्या अपने साथ वट सावित्री व्रत और शनि जयंती जैसे महापर्वों का शुभ संयोग लेकर आ रही है। यह दिन विशेष रूप से सुहागिन महिलाओं, धार्मिक श्रद्धालुओं और पितृ दोष से पीड़ित लोगों के लिए अत्यंत फलदायी माना गया है। सच्ची आस्था और विधिपूर्वक किए गए पूजन से ईश्वर की कृपा, पारिवारिक सुख, और मोक्ष की प्राप्ति संभव है।

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