भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने यह फैसला स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए लिया है। सोमवार शाम उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना इस्तीफा सौंपा, जिसे तत्काल प्रभाव से स्वीकार कर लिया गया। उनके इस निर्णय ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है, खासकर तब जब संसद का मानसून सत्र शुरू हो चुका है।
धनखड़ ने अपने इस्तीफे में लिखा कि वह डॉक्टरों की सलाह के अनुसार स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना चाहते हैं और इसी कारण वे अब इस जिम्मेदारी को आगे नहीं निभा सकते। उन्होंने कहा कि बीते कुछ समय से उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं चल रहा था और अब उन्हें चिकित्सकीय देखभाल की आवश्यकता है।
उल्लेखनीय है कि 72 वर्षीय जगदीप धनखड़ 11 अगस्त 2022 को देश के 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में चुने गए थे। अपने कार्यकाल के दौरान वे राज्यसभा के सभापति भी रहे और उन्होंने कई अहम संवैधानिक कार्यों को सुचारू रूप से संपन्न किया। इससे पहले वे पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रह चुके हैं और राजस्थान से सांसद भी रहे हैं।
धनखड़ के अचानक इस्तीफे से संसद की कार्यवाही पर असर पड़ सकता है, क्योंकि उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जबतक नया उपराष्ट्रपति नियुक्त नहीं होता, तब तक उनकी जिम्मेदारियों को अंतरिम तौर पर राष्ट्रपति निभा सकती हैं या संसद के वरिष्ठ सदस्य कार्यवाही की अध्यक्षता करेंगे।
सूत्रों के अनुसार, जगदीप धनखड़ पिछले कुछ महीनों से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे। हाल ही में एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान उन्हें चक्कर आ गया था, जिसके बाद उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया था। तब से उनकी तबीयत स्थिर थी, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें आराम करने और सक्रिय राजनीतिक जिम्मेदारियों से दूर रहने की सलाह दी थी।
उनके इस्तीफे के बाद अब नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया शुरू होगी। भारत के संविधान के अनुच्छेद 67(b) के तहत उपराष्ट्रपति अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं और यह इस्तीफा राष्ट्रपति को सौंपा जाता है। चुनाव आयोग अगले कुछ दिनों में इस संबंध में अधिसूचना जारी कर सकता है।
धनखड़ का राजनीतिक सफर काफी लंबा और विविध रहा है। वे एक सफल वकील भी रहे हैं और उन्होंने विभिन्न संवैधानिक मुद्दों पर स्पष्ट विचार रखे हैं। उनके इस्तीफे से भारतीय राजनीति में एक खालीपन आ गया है, जिसे भरने के लिए अब सभी दल नए नामों पर विचार कर रहे हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आगामी चुनाव में सत्तारूढ़ दल और विपक्ष, दोनों की रणनीतियों पर असर पड़ेगा। उपराष्ट्रपति का पद केवल सांविधानिक महत्व का नहीं, बल्कि संसद की कार्यवाही के संचालन में भी अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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