कहते हैं, जब हौसला बुलंद हो तो कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है। बिहार के गया जिले के चेरकी झिकटिया गांव की 21 वर्षीय सरिता कुमारी ने इस कहावत को सच कर दिखाया। सरिता, जो इंटरमीडिएट की छात्रा हैं, ने हाल ही में राज्यव्यापी दिव्यांग खेल प्रतियोगिता में 800 मीटर की रेस में द्वितीय स्थान प्राप्त किया। यह उपलब्धि उनके साहस और संघर्ष का प्रतीक बन गई है।
हौसले की मिसालसरिता का एक पैर नहीं है, लेकिन इसने उनके जज़्बे और मेहनत को कभी कम नहीं किया। उन्होंने न केवल खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया, बल्कि यह साबित किया कि शारीरिक चुनौतियां किसी भी व्यक्ति के हौसले और क्षमता को रोक नहीं सकतीं। उनके गांव और जिले में यह उपलब्धि प्रेरणा का स्रोत बन गई है।
खेल प्रतियोगिता में प्रदर्शनदो दिन पहले गया जिले में आयोजित राज्यव्यापी दिव्यांग खेल प्रतियोगिता में सरिता ने 800 मीटर की रेस में भाग लिया। कठिन परिस्थितियों और प्रतिस्पर्धियों के बावजूद उन्होंने धैर्य और मेहनत से दौड़ पूरी की और दूसरा स्थान हासिल किया।
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प्रतियोगिता में राज्य के विभिन्न जिलों से आए प्रतिभागी दिव्यांग खिलाड़ी शामिल हुए।
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सरिता की इस उपलब्धि ने प्रतियोगिता में सभी को प्रभावित किया।
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उनके कोच और परिवार ने उनकी मेहनत और समर्पण की भारी प्रशंसा की।
सरिता की यह कहानी यह संदेश देती है कि शारीरिक सीमाओं के बावजूद सफलता प्राप्त की जा सकती है। उनके प्रयास ने स्थानीय और राज्य स्तर पर कई लोगों को प्रेरित और उत्साहित किया है।
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उनके संघर्ष और हौसले ने दिव्यांग युवाओं के लिए मार्गदर्शन का काम किया।
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सरिता का उदाहरण यह दिखाता है कि शिक्षा और खेल दोनों में समर्पण से बड़ी उपलब्धियां हासिल की जा सकती हैं।
सरिता के परिवार और उनके कोच ने हमेशा उन्हें साहस और मार्गदर्शन दिया। उनकी देखरेख और प्रोत्साहन ने सरिता को अपने सपनों को साकार करने में मदद की।
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परिवार ने हमेशा उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाने पर जोर दिया।
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कोच ने तकनीकी प्रशिक्षण और दौड़ में रणनीति पर काम किया, जिससे सरिता सर्वोत्तम प्रदर्शन कर सकीं।
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