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बेसिक स्कूलों का मर्जर कर गरीबों के बच्चों को शिक्षा से वंचित करना चाहती है याेगी सरकार : अम्बिका चौधरी

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बलिया, 21 जून (Udaipur Kiran) । सपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री अम्बिका चौधरी ने प्रदेश सरकार द्वारा कम संख्या वाले स्कूलों के मर्जर योजना को लेकर भाजपा पर खासे हमलावर दिख रहे हैं। उन्होंने शनिवार को खास बातचीत में कहा कि गरीब आदमी का बच्चा सरकारी विद्यालयों में पढ़ न सके और बड़ा होकर सवाल न पूछ सके इसलिए ये लोग उसे शिक्षा से पूरी तरह से वंचित कर देना चाहते हैं। कम संख्या के नाम पर स्कूलों के मर्जर के पीछे भाजपा सरकार की यही मंशा है।

कहा कि वर्तमान में भाजपा सरकार के प्रति नौजवानों और बेरोजगारों में जो गुस्सा है, वह अवर्णनीय है। पहले से ही चौपट हो चुकी शिक्षा व्यवस्था में भाजपा सरकार ने हाल ही में एक नया खेल किया है। अब इन्होने यह फैसला किया है कि प्राथमिक विद्यालयों और उच्च प्राथमिक विद्यालयों का मर्जर यानी संविलियन किया जाएगा।

तंज कसते हुए कहा कि अंग्रेजी के शब्द मर्जर का भाजपा के लोग बहुत अच्छा इस्तेमाल करते हैं। कहा कि यह सिर्फ स्कूलों का मर्जर नहीं है। ये लोग बेसिक शिक्षा को पूरी तरह से ध्वस्त कर देंगे। भाजपा सरकार उत्तर प्रदेश में पहले पचास प्रतिशत विद्यालयों को बंद करेगी फिर सौ फीसदी विद्यालयों को बंद कर देगी।

श्री चौधरी ने कहा कि 2014 में जब भाजपा सत्ता में आई थी तो आकर्षक नारों के जरिए बड़े-बड़े सपने दिखाए थे। जिससे उन्हें सत्ता हासिल हुई। लगातार पांच साल सरकार चलाने के बाद भाजपा 2014 में दिए गए नारों को भूल गई। ये लोग फिर नए नारे गढ़कर दोबारा सत्ता में आए। केन्द्र में भाजपा ने अपने दोनों कार्यकाल और वर्तमान के एक साल को मिलाकर 11 सालों में कुछ नहीं किया। बस चुनाव जीतने की जुगत में लगे रहने वाले लोग हैं।

चुनाव जीतने के लिए भाजपा के लोग कुछ भी कर सकते हैं। इसके अलावा इनके एजेंडे में न तो जनता का ध्यान है और न ही देश-प्रदेश का विकास है। कहा कि देश और प्रदेश सरकार में कोई अंतर नहीं है। जनता के मामले में दोनों के सुर एक ही हैं। हालांकि, आपस में टकराव के मामले में केन्द्र और प्रदेश सरकार की दृष्टि में बड़ा भारी फर्क है। कहा कि दिल्ली और लखनऊ के टकराहट की खबरें आती रहती हैं। जिसके कारण प्रदेश सरकार के मंत्रियों के कामकाज बाधित होते हैं। क्योंकि किसी को दिल्ली का संरक्षण है तो किसी को लखनऊ का। यूपी में स्वास्थ्य विभाग की स्थिति चौपट है। लोकनिर्माण विभाग पचास प्रतिशत भी बजट इस्तेमाल नहीं कर पा रहा है। सड़कों की हालात ख़राब है। उत्तर प्रदेश में दूसरे के कार्यों पर अपना बोर्ड लगा देना ही भाजपा सरकार का फैशन बन गया है। ये लोग समाज में बंटवारा कर नफरत के आधार पर अपनी राजनीति की रोटी सेंक रहे हैं। इसे जनता समझ गई है, यह आगे अब चलने वाला नहीं है। दावा किया कि पीडीए न सिर्फ एनडीए को अपदस्थ करेगा, बल्कि 2027 में अखिलेश यादव की सरकार बनेगी। यह चर्चा भी होने लगी है। यह चर्चा सिर्फ समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं में ही नहीं हो रही है, बल्कि गांव गिराँव के गरीबों, पिछड़ों, दलितों और किसानों में भी होने लगी है, जिनकी कमर महंगाई और सरकार की नीतियों की वजह से टूट गई है।

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(Udaipur Kiran) / नीतू तिवारी

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