कोलकाता, 29 जून (Udaipur Kiran) । दक्षिण कोलकाता के कस्बा लॉ कॉलेज में छात्रा से गैंगरेप की घटना के बाद तृणमूल कांग्रेस के भीतर ही खुला विरोध सामने आ गया है। पार्टी के वरिष्ठ सांसद कल्याण बनर्जी ने इस मामले में बेहद तीखा बयान देते हुए पार्टी नेतृत्व को कठघरे में खड़ा कर दिया है। उनके बयान पर जब पार्टी ने दूरी बनाई, तो उन्होंने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर सार्वजनिक तौर पर अपनी नाराज़गी जाहिर करते हुए पार्टी के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया।
शनिवार को एक कार्यक्रम में बोलते हुए कल्याण बनर्जी ने कहा था,
लज्जा लगती है! इतने दिन से पार्टी में हूं, समझ नहीं आता कि इतने विकृत मानसिकता वाले लोग हमारी पार्टी में क्यों हैं? जिन्होंने यह घृणित अपराध किया है, उन्हें पार्टी से निकाल देना चाहिए।
कल्याण के इस बयान के बाद तृणमूल कांग्रेस की ओर से पार्टी के आधिकारिक एक्स हैंडल से एक औपचारिक बयान जारी कर कहा गया कि सांसद कल्याण बनर्जी और विधायक मदन मित्रा के बयान उनके व्यक्तिगत विचार हैं, और पार्टी इन बयानों से पूर्णतः असहमति रखती है।
पार्टी के इस स्पष्टीकरण के बाद, कल्याण बनर्जी ने शनिवार रात एक्स तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने लिखा:
मैं तृणमूल कांग्रेस द्वारा की गई इस पोस्ट से पूरी तरह असहमत हूं। क्या वे परोक्ष रूप से उन नेताओं का समर्थन कर रहे हैं जो इन अपराधियों को बचा रहे हैं?
सिर्फ अकादमिक बयान देने से कुछ नहीं होगा, जब तक कि उन नेताओं के खिलाफ तत्काल कार्रवाई नहीं होती जो सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं।
सबसे दुखद बात यह है कि 2011 के बाद जो नेता पार्टी में आए, उनमें से कुछ पर भी ऐसे अपराधों में शामिल होने के आरोप हैं। मैं स्पष्ट रूप से खुद को उन लोगों से अलग करता हूं जो अपराधियों को संरक्षण देते हैं या उनका समर्थन करते हैं।
मेरे विचारों को समझने के लिए एक नैतिक और बौद्धिक समझ की जरूरत है — जो दुर्भाग्यवश अब गायब दिखती है।
दरअसल बुधवार की शाम कस्बा लॉ कॉलेज में छात्रा को गार्ड रूम में बंधक बनाकर उसके साथ दुष्कर्म किए जाने का आरोप सामने आया। पीड़िता स्वयं सत्तारूढ़ छात्र संगठन से जुड़ी बताई जा रही है। इस मामले में पुलिस ने तृणमूल समर्थक छात्र नेता और वकील मनोजीत मिश्रा, कॉलेज के दो छात्र जैब अहमद और प्रमित मुखर्जी, और एक सुरक्षा गार्ड को गिरफ्तार किया है।
तृणमूल विधायक मदन मित्रा ने भी घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था,
लड़की को वहां नहीं जाना चाहिए था। उसे किसी दोस्त को बताकर या साथ लेकर जाना चाहिए था।
उनके इस बयान को ‘विक्टिम ब्लेमिंग’ माना गया और चौतरफा आलोचना हुई।
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, यह विवाद केवल एक आपराधिक मामले तक सीमित नहीं, बल्कि यह तृणमूल के भीतर चल रहे नए बनाम पुराने नेताओं के संघर्ष की ओर भी संकेत करता है।
कल्याण बनर्जी जैसे पुराने नेता स्पष्ट रूप से मानते हैं कि 2011 के बाद जो लोग पार्टी में आए, वे अनुशासनहीन, भ्रष्ट और अवसरवादी हैं।
सूत्रों के अनुसार, तृणमूल का एक्स हैंडल आई-पैक द्वारा संचालित होता है, जिसे पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी से जोड़ा जाता है। ऐसे में कल्याण बनर्जी का यह विरोध केवल संगठनात्मक मतभेद नहीं, बल्कि नेतृत्व के भीतर भी एक नई खींचतान का संकेत माना जा रहा है।
कस्बा कांड ने तृणमूल कांग्रेस के भीतर के अंतर्विरोधों को सतह पर ला दिया है। जहां एक तरफ पार्टी नेतृत्व विवाद से बचने की कोशिश कर रहा है, वहीं वरिष्ठ नेता खुलकर आक्रोश व्यक्त कर रहे हैं। यह देखना अब दिलचस्प होगा कि तृणमूल इस आंतरिक संकट को कैसे सुलझाती
है — कार्रवाई कर के या चुप्पी साधकर।
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(Udaipur Kiran) / धनंजय पाण्डेय
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