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आज अदालत में पीड़िता का दर्ज होगा बयान, आईआईएम जोका में प्रवेश समय को लेकर जांच में संशय

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कोलकाता, 14 जुलाई (Udaipur Kiran) । आईआईएम जोका के हॉस्टल में युवती से दुष्कर्म के मामले में कोलकाता पुलिस की ओर से नौ सदस्यीय विशेष जांच टीम (एसआईटी) का गठन कर दिया गया है। इस टीम की अगुवाई दक्षिण-पश्चिम डिविजन के एक सहायक आयुक्त कर रहे हैं और इसमें तीन महिला अधिकारियों को भी शामिल किया गया है। घटना के लगभग ढाई दिन बीतने के बाद भी कई सवालों के जवाब अब तक नहीं मिल पाए हैं।

पुलिस के अनुसार, फिलहाल प्राथमिकता यह तय करने की है कि घटना के दिन वास्तव में कब-क्या हुआ था।

सोमवार को युवती का अदालत में गुप्त बयान और मेडिकल जांच होनी तय है, लेकिन रविवार देर रात तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया था कि वह इसमें हिस्सा लेंगी या नहीं। पुलिस का कहना है कि परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर जांच को आगे बढ़ाया जाएगा और कोई भी कड़ी अधूरी नहीं छोड़ी जाएगी।

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समय-सारणी पर भ्रम : मोबाइल लोकेशन से संदेह गहराया

जांचकर्ताओं का कहना है कि अब तक युवती के बयान और तकनीकी साक्ष्यों में मेल नहीं बैठ रहा है। उदाहरण के तौर पर, पीड़िता ने अपनी शिकायत में शुक्रवार को सुबह लगभग 11:45 बजे कॉलेज कैंपस में प्रवेश करने की बात कही है। लेकिन मोबाइल टावर लोकेशन के मुताबिक वह सुबह 11:00 बजे ही कैंपस में पहुंच गई थीं।

आरोपित युवक ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि उसकी युवती से पहचान एक ऐप के जरिए हुई थी और वह कुछ महीनों से काउंसलिंग करवा रहा था। आरोपित के मुताबिक, शुक्रवार को सुबह 11:00 से 11:30 बजे तक काउंसलिंग का समय तय था और इसलिए उसने पहले ही वार्डन को सूचित कर दिया था कि युवती आएंगी। इस वजह से उन्हें उपस्थिति पंजी में दस्तखत नहीं करने पड़े।

अब पुलिस के समक्ष यह सवाल है कि क्या उस दिन काउंसलिंग हुई थी या नहीं? क्या काउंसलिंग के बाद ही अपराध घटित हुआ? क्या इसी कारण युवती ने शिकायत में अपना प्रवेश समय 11:45 बजे बताया? पुलिस को अभी इन सवालों के जवाब नहीं मिले हैं।

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सीसीटीवी फुटेज, हाजिरी खाता और स्टाफ की पूछताछ

पुलिस ने कॉलेज प्रशासन से और अधिक सीसीटीवी फुटेज की मांग की है ताकि युवती के परिसर में आने और जाने के समय की पुष्टि की जा सके। अब तक जो फुटेज मिले हैं, उनमें युवती की उपस्थिति दर्ज है। इसके अलावा, कॉलेज परिसर और हॉस्टल में प्रवेश से जुड़ी रजिस्टरों की जांच की जा रही है।

पुलिस यह भी जानना चाहती है कि युवती को घटना वाले दिन किस-किस ने देखा था और कहां देखा था। इसके लिए सुरक्षा गार्डों, छात्रों और अन्य स्टाफ से पूछताछ की जाएगी। साथ ही, उनके नामों की सूची कॉलेज प्रशासन से मांगी गई है।

शनिवार रात को फॉरेंसिक विशेषज्ञों ने हॉस्टल के घटनास्थल से दो प्रकार के बालों के नमूने, पानी की बोतल सहित कुल नौ प्रकार के नमूने इकट्ठे किए हैं। घटना वाले कमरे को सील कर दिया गया है। युवती और आरोपित के मोबाइल डेटा की भी जांच जारी है।

जांच अधिकारियों का मानना है कि युवती को काउंसलिंग के बहाने बुलाया गया था, लेकिन अब तक आरोपित के किसी मानसिक विकार के संकेत नहीं मिले हैं। पुलिस को यह भी पता चला है कि आरोपित कोई दवा नहीं लेता था।

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परिवार का दावा : कुछ नहीं हुआ

इस मामले में सबसे बड़ी चुनौती पीड़िता के परिवार का विरोधाभासी रुख है। शनिवार को युवती के पिता ने दावा किया था कि उनकी बेटी के साथ कुछ भी गलत नहीं हुआ है और वह स्कूटर से गिरकर घायल हुई थी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस ने जबरन शिकायत लिखवाई है।

हालांकि, पुलिस के एक सूत्र का कहना है कि परिवार ने अपने करीबी लोगों को बताया है कि युवती शुक्रवार को अपने स्कूटर से कॉलेज गई थी। रास्ते में उसका स्कूटर एक ऑटो से टकरा गया, जिससे वह अस्वस्थ हो गई और पुलिस उसे अस्पताल ले गई। वहीं मेडिकल जांच के दौरान युवती ने कथित यौन उत्पीड़न की जानकारी दी, जिसके बाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज की।

परिवार का यह भी दावा है कि अस्पताल में पहुंचने से पहले ही युवती को हरीदेवपुर थाने ले जाया गया था और बाद में पिता के पहुंचने पर फिर से अस्पताल लाया गया, जहां शनिवार तड़के 4:00 बजे तक उसका मेडिकल परीक्षण चलता रहा।

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एफआईआर दर्ज करने के समय पर उठे सवाल

इधर, आरोपित के वकील ने पुलिस की जांच पर सवाल खड़े करते हुए दावा किया है कि पुलिस ने अदालत में रिपोर्ट दी है कि दुष्कर्म की घटना दोपहर 11:45 से रात 8:35 के बीच हुई। लेकिन एफआईआर में भी घटना का समय रात 8:35 ही लिखा है, जो संदेहास्पद है, क्योंकि आईआईएम जोका से संबंधित थाने की दूरी लगभग चार किलोमीटर है।पुलिस का तर्क है कि इसी कारण यह जरूरी है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि युवती ने कॉलेज परिसर कब छोड़ा और फिर वह कहां-कहां गई। अभी इस संबंध में पुलिस को कोई पुख्ता जानकारी नहीं मिल पाई है।

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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