फर्रुखाबाद, 26 अक्टूबर (Udaipur Kiran) . Uttar Pradesh में सर्वाधिक आलू पैदा करने वाले आलू किसान एक बार फिर संकट से घिरते नजर आ रहे हैं. फर्रुखाबाद जिले के 109 शीतगृहों में भंडारित 7 लाख 79 हजार 685 मीट्रिक टन किसानों के आलू में से केवल 70 फीसदी ही अब तक निकासी हो सकी है. किसान इसकी वजह आलू के दामाें में पिछले साल के मुकाबले वर्तमान में 50 फीसदी गिरावट हाेना मान रहे हैं. यही कारण है कि किसान घाटे से बचने के लिए स्टाेरेज से आलू नहीं निकाल रहे हैं.
फर्रुखाबाद के आलू किसान इसी फसल के सहारे आसमान के सपने देखते हैं. किसानों के बच्चों की पढ़ाई, लिखाई, विवाह का दारोमदार केवल आलू की फसल पर टिका हाेता है. वर्तमान में स्थिति ऐसी हाे गई है कि आलू के दाम गिरने से किसानों की लागत नहीं निकल रही है और इसी वजह से स्टाेरेज से आलू की निकासी कम हो गई है.
जिले में सर्वाधिक आलू पैदा करने वाले गांव कोला सोता के ग्राम प्रधान राकेश सिंह का कहना है कि मौजूदा समय में शीत गृहों में भंडारित आलू के दाम 300 रुपये प्रति पैकेट चल रहे हैं, जिससे किसानों की लागत नहीं निकल रही है. उनका कहना है कि वर्तमान में आलू की कीमत 400 से 500
रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह दरें 1000 रुपये से लेकर 1300 रुपये तक थी. उनका कहना है कि आलू की कीमत गिरने से किसानों ने निकासी कम कर दी है.
सागर सिंह सोमवती शीत गृह नहरिया मोहम्मदाबाद के मालिक गजेंद्र सिंह यादव ने बताया कि आलू के भाव एकाएक नीचे गिरने से किसानों की लागत के दाम नहीं निकल रहे हैं. जिस वजह से आलू की निकासी कम हो रही है.
आलू किसान नारद सिंह कश्यप का कहना है कि आलू की कीमत पर छाई मंदी के कारण किसानों का बजट गड़बड़ा गया है. भाव गिरने से कई किसान अपनी बेटियों की शादी तय तिथि पर नहीं कर पा रहे हैं तथा बच्चों की स्कूल-काॅलेज की फीस देने में भी उन्हें परेशानी हो रही है.
इस संबंध में जिला आलू विकास अधिकारी राघवेंद्र सिंह की माने तो इस वर्ष जिले के 109 शीतगृहों में 7 लाख 79,685 मीट्रिक टन आलू भंडारित किया गया. जिसमें से 5 लाख 63,576 मीट्रिक टन आलू को किसानों ने निकाल कर बाजार में बेच दिया एवं बीज के रूप में इस्तेमाल कर लिया. मौजूदा समय में जिले भर के शीत गृहों में 2 लाख 26,108 मीट्रिक टन आलू भंडारित है. जिसका मूल्य न मिलने पर किसानों ने निकासी धीमी कर दी है. हालांकि आलू किसान धैर्य से काम लें, क्याेंकि आने वाले समय में आलू के भाव बढ़ सकते हैं. अभी तक नए आलू की गड़ाई केवल 50 फीसदी ही हो सकी है और शेष आलू की गड़ाई के लिए किसानों को बीज की काफी जरूरत पड़ेगी. जिससे आलू की मांग बढ़ेगी और किसानों को आलू के अच्छे दाम मिल सकते हैं.
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(Udaipur Kiran) / Chandrapal Singh Sengar
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