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भगवद् गीता मनोविज्ञान का अद्भुत ग्रन्थ : स्वामी ज्ञानानन्द महाराज

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प्रयागराज, 12 जुलाई (Udaipur Kiran) । भगवद् गीता मनोविज्ञान का अद्भुत ग्रन्थ है। यह ग्रन्थ संवाद शैली का शास्त्र है। सभी समस्याओं का समाधान है गीता। गीता में अर्जुन के माध्यम से श्री कृष्ण ने सम्पूर्ण मानव समाज को संदेश दिया है। गीता हमें ज्ञान देती है कि सनातन धर्म का प्रथम कर्तव्य है कि जहां से कुछ पाया है वहां के प्रति कृतज्ञ रहो।यह बातें गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानन्द महाराज ने एक दिवसीय “गीता गोष्ठी” में शनिवार की सायं सिविल लाइन स्थित एक होटल में सम्बोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि प्रमादी नहीं पुरुषार्थी बनो, स्वार्थी नहीं परमार्थी बनो। जीवन जीने की प्रेरणा है गीता। गीता कहती है कि लक्ष्य प्राप्ति के लिए अपना सर्वस्व लगाओ फल की चिंता मत करो।उल्लेखनीय है कि, 23 नवम्बर को लखनऊ में गीता जयंती समारोह का आयोजन होगा। जिसके मुख्य अतिथि आर एस एस प्रमुख मोहन भागवत होंगे। पूर्व गृह सचिव जीओ गीता उत्तर प्रदेश के संयोजक मणि प्रसाद मिश्र ने स्वागत भाषण देते हुए गोष्ठी की भूमिका रखी और भाजपा के वरिष्ठ नेता योगेश शुक्ला ने धन्यवाद ज्ञापित किया।अपर शासकीय अधिवक्ता शशांक शेखर पांडेय ने बताया कि दीप प्रज्ज्वलन में पूर्व आईपीएस जुगुल किशोर तिवारी, पूर्व आईएएस सर्वज्ञ राम मिश्रा, मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ एसपी सिंह, पूर्व कुलपति राजा राम यादव, डॉ विभा मिश्रा, प्रो गिरीश चन्द्र त्रिपाठी आदि मौजूद रहे।अपर शासकीय अधिवक्ता शशांक शेखर पांडेय, विमलेंदु त्रिपाठी, दिनेश तिवारी, दत्तात्रेय पांडेय, हरिमोहन पांडेय, विनय कुमार शुक्ल, रश्मि त्रिपाठी, डॉ प्रमोद शर्मा, डॉ उमेश दत्त तिवारी, चंद्रभूषण तिवारी, प्रमोद मोदी, मनोज त्रिपाठी, अनुराग शुक्ल आदि ने स्वागत किया। गोष्ठी में भारी संख्या में शिक्षाविद, साहित्यकार, पत्रकार, चिकित्सक, अधिवक्ता, सामाजिक कार्यकर्ता, मातृ शक्ति, सहित विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

(Udaipur Kiran) / विद्याकांत मिश्र

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