रांची, 24 मई . सीबीआई ने 5.33 करोड़ रुपये के बैंक घोटाले में दस लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया है. इसमें तीन बैंक अधिकारी, एक सीए, एक वैलुअर, दो कर्जदार, दो सप्लायर और एक डॉयगनोस्टिक सेंटर का मालिक शामिल है. आरोपित लोगों में ट्रस्ट डायग्नोस्टिक सेंटर के जतिन सहाय, चार्टर्ड अकाउंटेंट पंकज अग्रवाल, वैलुअर संजय कुमार सहित अन्य लोगों का नाम शामिल हैं.
बैंक ऑफ इंडिया के वरीय अधिकारियों की शिकायत पर सीबीआई ने यह प्राथमिकी दर्ज की थी. इसमें यह आरोप लगाया गया था कि मयंक साहा और रोमी साहा ने कर्ज और सूद का 5.33 करोड़ रुपये नहीं चुकाया. कर्ज लेने के लिए फर्जी दस्तावेज का सहारा लिया गया. कर्ज की रकम में 38 लाख का होम लोन, 1.50 करोड़ रुपये का कैश क्रेडिट लोन और 3.00 करोड़ रुपये का टर्म लोन शामिल है.
सीबीआई रांची ने बैंक की इस शिकायत के आधार पर अगस्त 2024 में प्राथमिकी दर्ज कर मामले की जांच चंदन कुमार सिंह को सौंपी.
सीबीआई ने जांच में पाया कि बैंक से कर्ज लेने के लिए मयंक साहा और रोमी साहा ने हीरा हाईट्स नाम के आवासीय भवन के चार फ्लैट को गिरवी रखा था. सेल डीड में हीरा हाईट्स में चारों फ्लैट होने का उल्लेख था. हीरा हाईट्स का निर्माण बिल्डर सह ट्रस्ट डॉयगनोस्ट के जतिन साह द्वारा किया जा रहा था.
टर्म लोन के लिए यह मयंक साहा की ओर से यह दावा किया गया था कि उसने ट्रस्ट डायग्नोस्टिक के जतिन सहाय के साथ पार्टनरशिप किया है. कर्ज की इस रकम से एमआरआइ मशीन खरीद कर डायग्नोस्टिक सेंटर में लगाया जायेगा.
सीबीआई ने जांच में पाया कि एमआरआई मशीन कभी खरीदी ही नहीं गयी. लेकिन एमआरआइ मशीन बेचने का कोटेशन कंप्यूटर व्यापार से जुड़े राजेश कुमार श्रीवास्तव और कुमार राकेश ने दिया था. बैंक से कर्ज लेने के लिए आवश्यक दस्तावेज सीए पंकज अग्रवाल ने बनायी थी. बैंक के वैलुअर ने उसे सत्यापित किया था.
साथ ही बैंक के अधिकारियों ने सुनियोजित साजिश के तहत कर्ज दिया था.
सीबीआई ने जांच में पाया कि मयंक साहा और रोमी साहा और उसके पति मयंक साहा ने फरवरी 2018 में बैंक ऑफ इंडिया के रिटेल बैंकिंग सेंटर पहुंच कर 38.00 लाख रुपये होम लोन के लिए आवेदन दिया. रिटेल बैंकिंग सेंटर ने कर्ज स्वीकृत करते हुए रातु रोड ब्रांच भेजा.
इसके बाद फरवरी में ही मयंक साहा ने बैंक के एसएमईसीसी शाखा में अपनी कंपनी मेसर्स आइकॉन इंफ्रा सर्विस के बहुत सारा वर्क ऑर्डर मिलने का दावा करते हुए 1.50 करोड़ रुपये के कैश क्रेडिट लोन के लिए आवेदन दिया.
एसएमईसीसी ने इसे भी भारत सरकार द्वारा शुरू की गयी योजना (सीजीटीएमएसई) के तहत स्वीकृत करते हुए बैंक के रातू रोड शाखा में भेज दिया.
इसके बाद मई 2018 में रोमी साहा अपने फर्म मेसर्स क्लियर इमेजिंग सर्विस के नाम पर तीन करोड़ रुपये का टर्म लोन का आवेदन दिया. इसे भी स्वीकृत करते हुए बैंक के रातु रोड ब्रांच में भेज दिया गया.
इनके खिलाफ आरोप पत्र हुआ दायर
-जतिन सहाय, ट्रस्ट डॉयगनोस्टि सेंटर
-केवल कुमार गर्ग, बैंक के एजीएम
-जयकांत लाल दास, बैक अधिकारी
-सुब्रता हलधर, बैंक का वित्त पदाधिकारी
-मयंक साहा, प्रोपराइटर मेसर्स क्लियर इमेजिंग सर्विस
-रोमी साहा, प्रोपराइटर मेसर्स क्लियर इमेजिंग सर्विस
-पंकज अग्रवाल, चार्टर्ड अकाउंटेंट
-संजय कुमार, बैंक का वैलुअर
-राजेश कुमार श्रीवास्तव, सप्लायर
-कुमार राकेश, सप्लायर
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/ विकाश कुमार पांडे
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