शिमला, 8 जुलाई (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में सोमवार रात को हुई भारी बारिश ने एक बार फिर लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। सिरमौर जिले में रातभर बारिश का सिलसिला जारी रहा, जिससे गिरि जटोंन डैम के छह गेट खोलने पड़े। इससे निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है औऱ प्रशासन ने लोगों को सचेत रहने की हिदायत दी है। जिला के नदी-नालों में जलस्तर में तेजी से वृद्धि हुई है।
राजधानी शिमला सहित कांगड़ा, मंडी, बिलासपुर और चंबा जिलों में भी सोमवार रात जमकर बारिश हुई। मंडी जिले में घने बादलों के बीच अधिकांश क्षेत्रों में तेज बारिश दर्ज की गई। इसमें मंडी जिला का आपदा प्रभावित थुनाग क्षेत्र भी शामिल रहा। मौसम विभाग की ताजा रिपोर्ट के अनुसार बीती रात मंडी जिला के गोहर में सर्वाधिक 85 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई। इसके अलावा सिरमौर के सराहन में 84 मिमी, कांगड़ा के बैजनाथ में 60 मिमी, नाहन में 54 मिमी, पांवटा साहिब में 48 मिमी, नैनादेवी जी में 46 मिमी, कसौली में 37 मिमी और जोगिंदरनगर में 28 मिमी वर्षा रिकॉर्ड की गई है।
प्रदेश में मौसम का मिजाज आज भी बिगड़ा हुआ है। मौसम विभाग ने अगले 24 घंटों के दौरान सात जिलों चंबा, कांगड़ा, मंडी, कुल्लू, शिमला, सोलन और सिरमौर में फ्लैश फ्लड की चेतावनी जारी की है। इसके साथ ही 14 जुलाई तक भारी बारिश की आशंका को देखते हुए राज्य के कुछ हिस्सों के लिए येलो अलर्ट भी लागू किया गया है। विभाग ने संवेदनशील इलाकों में रहने वाले लोगों को नदी-नालों से दूर रहने और अनावश्यक यात्रा से बचने की सलाह दी है।
लगातार हो रही बारिश और भूस्खलन की वजह से राज्य में सड़कों, बिजली और जलापूर्ति जैसी जरूरी सुविधाओं पर असर पड़ा है। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार मंगलवार सुबह तक प्रदेशभर में 227 सड़कों पर यातायात ठप है, 163 बिजली ट्रांसफार्मर बंद हैं और 174 पेयजल योजनाएं प्रभावित हुई हैं। मंडी जिला सबसे ज्यादा प्रभावित है, जहां 153 सड़कें, 140 ट्रांसफार्मर और 158 जल योजनाएं ठप पड़ी हैं। इनकी बहाली का कार्य प्रशासन युद्धस्तर पर कर रहा है।
प्रदेश में मानसून सीजन ने अब तक भारी तबाही मचाई है। 20 जून से लेकर अब तक वर्षाजनित हादसों में 80 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि 128 लोग घायल हुए हैं और 35 लोग लापता बताए जा रहे हैं। इस दौरान 164 मकान पूरी तरह और 191 आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं। 364 पशुशालाएं और 27 दुकानें भी बारिश और भूस्खलन की चपेट में आ चुकी हैं। पशुधन को भी बड़ा नुकसान हुआ है। अब तक 254 मवेशियों और 10 हजार पोल्ट्री पक्षियों की मौत हो चुकी है। कुल मिलाकर राज्य को मानसून के दौरान अब तक 692 करोड़ रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ है, जिसमें सबसे ज्यादा नुकसान जलशक्ति विभाग को 391 करोड़ और लोक निर्माण विभाग को 292 करोड़ रुपये का हुआ है।
मंडी जिला सबसे अधिक प्रभावित जिलों में शामिल है। सिर्फ 30 जून की रात को यहां 12 स्थानों पर बादल फटने की घटनाएं हुईं, जिससे जनजीवन बुरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया। अब तक जिले में 20 लोगों की मौत हो चुकी है और 28 लोग लापता हैं। प्रदेशभर में बादल फटने से 14, बाढ़ से आठ, पानी में बहने से आठ, पहाड़ी से गिरने से नौ, करंट लगने से चार और सड़क हादसों में 28 लोगों की मौत हुई है।
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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा
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