सीहोर, 21 जून (Udaipur Kiran) । इस वर्ष आषाढ मास गुप्त नवरात्रि का शुभारम्भ 26 जून गुरुवार से होगा, जिसका समापन 4 जून शुक्रवार को होगा। इस तरह नवरात्रि का पावन पर्व नाै दिनों तक मनाया जाएगा, गुरूवार को सर्वार्थसिद्धी योग भी रहेगा।
गुप्त नवरात्रि को लेकर पंडित सुनील शर्मा ने बताया की वर्ष में चार नवरात्रि होती है इसमें दाे प्रकट प्रत्यक्ष नवरात्रि चैत्र मास व अश्विन मास में होती हैं तथा अप्रत्यक्ष गुप्त नवरात्रि माघ मास व आषाढ मास में होत्री हैं। गुप्त नवरात्रि में साधक गुप्त साधनाएं गुप्त स्थान व अपनी व्यवस्थानुसार करते हैं। इस बार मां दुर्गा की कलश स्थापना गुरूवार को होगी अर्थात गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा पालकी से धरती पर आएगी। नवरात्रि में साधक अपनी आध्यत्मिक व मानसिक शक्तियों में वृद्धि करने के लिए अनेक प्रकार के उपवास, संयम, नियम, भजन, पूजन, योग साधना आदि करते है।
होगी दस महाविद्याओं की पूजा
गुप्त नवरात्रि में माँ दुर्गा के नो स्वरूपों के साथ ही दस महाविद्याओं की पूजन होगी जिसमें माँ काली, माँ तारा, माँ त्रिपुर सुंदरी माँ भुवनेश्वरी, मां छिन्नमस्ता, माँ त्रिपुर भैरवी, मां धुमावती,माँ बगलामुखी, माँ मांतगी माँ कमला की साधना भक्तों के द्वारा की जाती है। गुप्त नवरात्रि में शिव शक्ति की साधना सभी मनोकामनाए पूरी करती है।
उन्हाेंने बताया कि इस समय की जाने वाली साधना को गुप्त बनाये रखना चाहिए। इस शक्ति साधना के पीछे एक गुप्त रहस्य है।
मानव के समस्त रोग दोष व कष्टों के निवारण के लिए नवरात्र से बढ़कर कोई साधना नहीं होती है। गुप्त नवरात्रि के साधनाकाल में शिव शक्ति का जप, तप, ध्यान करने से साधक का जीवन मंगलमय हो जाता है।
गुप्त नवरात्रि पूजा विधि
इस संबंध में पंडित सुनील शर्मा ने बताया की शास्त्रों में घट स्थापना, अखंड ज्योति प्रज्जवलित करना व जवारे स्थापित करने का उल्लेख किया गया है। श्रदालुजन अपने सामर्थ्य अनुसार उपरोक्त कार्य करते हैं। गुप्त नवरात्रि के समय अन्य नवरात्रि की तरह ही साधक को पूजा, ध्यान करना चाहिए। नौ दिनों का संकल्प लेते हुए प्रतिप्रदा प्रथम दिवस घट स्थापना करना चाहिए, घट स्थापना के बाद प्रतिदिन सुबह, शाम शिव शक्ति की पूजा करनी चाहिए। नवमी के दिन कन्या पूजन भोजन व हवन के साथ नवरात्र पूर्ण करना चाहिए। पूर्णाहुति हवन मां दुर्गा के मंत्रों व दुर्गा सप्तशती के मंत्रों से सम्पन्न करना चाहिए। गुप्त नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती, दुर्गा चालीसा का पाठ करने से शिव शक्ति प्रसन्न होकर साधक की मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।
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(Udaipur Kiran) / राजू विश्वकर्मा
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