सावन का पवित्र महीना सनातन धर्म में विशेष महत्व रखता है। इस महीने में शिव भक्ति की लहर हर मंदिर में देखने को मिलती है, लेकिन शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाने वाला नाग पंचमी का पर्व एक अलग ही आध्यात्मिक रंग लिए होता है। इस साल 29 जुलाई 2025 को यह त्योहार पूरे देश में उत्साह के साथ मनाया जाएगा। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन नाग देवता और भगवान शिव की पूजा करने से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आइए, इस लेख में हम आपको नाग पंचमी के महत्व और उज्जैन के अनूठे नागचंद्रेश्वर मंदिर की विशेषता के बारे में बताते हैं, जो साल में केवल एक दिन भक्तों के लिए खुलता है।
नाग पंचमी का आध्यात्मिक महत्वनाग पंचमी का पर्व सनातन संस्कृति में गहरी आस्था का प्रतीक है। इस दिन नाग देवता की पूजा के साथ-साथ कुछ क्षेत्रों में मां मनसा की अराधना भी की जाती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिन लोगों की कुंडली में सर्प दोष होता है, उनके लिए यह दिन विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। व्रत और पूजा के माध्यम से इस दोष से मुक्ति पाई जा सकती है। इस दिन मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है, जो अपने जीवन में शांति और समृद्धि की कामना के लिए नाग देवता का आशीर्वाद लेते हैं।
नागचंद्रेश्वर मंदिर: साल में एक दिन का आध्यात्मिक उत्सवउज्जैन का नागचंद्रेश्वर मंदिर, जो प्रसिद्ध महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग परिसर में स्थित है, इस पर्व का एक प्रमुख केंद्र है। इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसके कपाट साल में केवल एक बार, नाग पंचमी के दिन, भक्तों के लिए खोले जाते हैं। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, यहां पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होती है। 29 जुलाई 2025 को मंदिर के कपाट खुलते ही देश-विदेश से हजारों भक्त यहां पहुंचेंगे। इस दिन मंदिर परिसर में विशेष सुरक्षा व्यवस्था की जाती है ताकि भक्तों को किसी भी असुविधा का सामना न करना पड़े।
विशेष पूजा और आरती का आयोजननाग पंचमी के दिन नागचंद्रेश्वर मंदिर में विशेष पूजा और त्रिकाल आरती का आयोजन होता है। पुजारी प्राचीन परंपराओं के अनुसार नाग देवता और भगवान शिव की पूजा करते हैं। इस अवसर पर मंदिर में भक्तों के बीच प्रसाद का वितरण भी किया जाता है। यह आयोजन न केवल स्थानीय भक्तों को आकर्षित करता है, बल्कि दूर-दराज से आए श्रद्धालु भी इस पवित्र अनुष्ठान का हिस्सा बनते हैं। पूजा के बाद मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं, और अगले साल फिर से नाग पंचमी पर ही यह मंदिर भक्तों के लिए खुलता है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है, जो इस मंदिर के प्रति लोगों की आस्था को और गहरा करती है।
मंदिर की अनूठी विशेषताएंनागचंद्रेश्वर मंदिर अपनी अनूठी बनावट और आध्यात्मिक महत्व के लिए विश्वविख्यात है। यह मंदिर महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के शिखर पर स्थित है और यहां 11वीं सदी की एक प्राचीन नाग देवता की प्रतिमा स्थापित है। यह दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां भगवान शिव सर्प शय्या पर विराजमान हैं। माना जाता है कि यह प्रतिमा नेपाल से लाई गई थी, जिसमें नाग देवता अपने फन को फैलाए हुए दिखाई देते हैं। इस विशेष मूर्ति की त्रिकाल पूजा नाग पंचमी के दिन भक्तों के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव होती है।
पौराणिक कथा जो बढ़ाती है आस्थानागचंद्रेश्वर मंदिर के साल में एक बार खुलने के पीछे एक रोचक पौराणिक कथा है। कहा जाता है कि सांपों के राजा तक्षक ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की थी। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अमरत्व का वरदान दिया। इसके बाद तक्षक ने उज्जैन के महाकाल वन में एकांतवास की इच्छा जताई। तब से यह परंपरा शुरू हुई कि मंदिर के कपाट केवल नाग पंचमी के दिन ही खोले जाते हैं। यह कथा भक्तों के बीच गहरी आस्था का कारण बनती है और मंदिर के महत्व को और बढ़ाती है।
क्यों करें इस मंदिर का दर्शन?यदि आप अपने परिवार की सुख-शांति और समृद्धि की कामना करते हैं, तो इस नाग पंचमी पर नागचंद्रेश्वर मंदिर का दर्शन जरूर करें। यह स्थान न केवल आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है, बल्कि भगवान शिव और नाग देवता की कृपा से आपके जीवन की सभी परेशानियां दूर हो सकती हैं। मंदिर का शांत वातावरण और प्राचीन परंपराएं आपको एक अनूठा अनुभव देंगी। इस बार अपने परिवार के साथ इस पवित्र स्थल की यात्रा करें और भक्ति के इस अनूठे संगम का हिस्सा बनें।
नोट: यह लेख सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित है। हम किसी भी धार्मिक विश्वास की पुष्टि नहीं करते।
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