यामीन विकट, ठाकुरद्वारा। उत्तर प्रदेश के ठाकुरद्वारा में रोडवेज बस स्टैंड की कहानी किसी भूले-बिसरे सपने जैसी है। लगभग दो दशक पहले बने इस बस स्टैंड को देखकर कोई नहीं कह सकता कि यह कभी यात्रियों की सुविधा के लिए बनाया गया था। आज यह बदहाली का शिकार होकर खंडहर में तब्दील हो चुका है। स्थानीय लोग इसे लेकर आक्रोशित हैं, और उनकी शिकायतें बार-बार अनसुनी हो रही हैं। आइए, इस मुद्दे की गहराई में उतरकर समझें कि आखिर क्यों यह बस स्टैंड आज भी जनता के लिए बोझ बना हुआ है।
19 साल पहले का सपना, आज खंडहरसन 2006 में ठाकुरद्वारा में रोडवेज बस स्टैंड का निर्माण हुआ था। उस समय सरकार ने इस पर करीब 18 लाख रुपये खर्च किए थे। मकसद था कि स्थानीय लोगों को बेहतर परिवहन सुविधा मिले और क्षेत्र का विकास हो। लेकिन आज यह बस स्टैंड अपनी बदहाली की कहानी खुद बयां करता है। टूटी-फूटी दीवारें, जर्जर छत, और चारों ओर फैली गंदगी इसकी हालत को और बदतर बनाती है। स्थानीय निवासी रामपाल सिंह कहते हैं, "हमारे लिए यह बस स्टैंड सिर्फ एक मजाक बनकर रह गया है। ना तो यहां बसें रुकती हैं, ना ही कोई सुविधा है।"
रोडवेज बस स्टैंड की इस दुर्दशा का सबसे ज्यादा फायदा निजी बस संचालकों को हो रहा है। ठाकुरद्वारा के लोग मजबूरी में निजी बसों में सफर करने को विवश हैं, जो अक्सर मनमाने किराए वसूलती हैं। दूसरी ओर, परिवहन विभाग को हर महीने लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता शिवेंद्र बंधु गुप्ता का कहना है, "यह सिर्फ बस स्टैंड की बदहाली नहीं, बल्कि सरकारी संसाधनों की बर्बादी और जनता के साथ धोखा है। निजी बस संचालक मुनाफा कमा रहे हैं, जबकि सरकार और जनता दोनों को नुकसान हो रहा है।"
शिकायतों का अंबार, फिर भी चुप्पीइस मामले को लेकर स्थानीय लोगों और नेताओं ने कई बार आवाज उठाई है। शिवेंद्र बंधु गुप्ता ने बताया कि उन्होंने परिवहन विभाग के अधिकारियों से लेकर राज्यपाल और मुख्यमंत्री तक से इस मुद्दे पर गुहार लगाई, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। उनकी शिकायत है कि अधिकारी न केवल लापरवाही बरत रहे हैं, बल्कि सरकार और जनप्रतिनिधियों को गुमराह भी कर रहे हैं। गुप्ता कहते हैं, "ऐसी लापरवाही से योगी सरकार की छवि को नुकसान पहुंच रहा है। अधिकारियों को जवाबदेह बनाना जरूरी है।"
जनता की परेशानी, अधिकारियों की लापरवाहीरोडवेज बस स्टैंड की बदहाली का असर ठाकुरद्वारा के लोगों के रोजमर्रा के जीवन पर पड़ रहा है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों के लोग, जो शहर आने के लिए बसों पर निर्भर हैं, सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। महिलाओं और बुजुर्गों को असुविधा का सामना करना पड़ता है। स्थानीय निवासी शांति देवी बताती हैं, "निजी बसें हमेशा भरी रहती हैं, और किराया भी ज्यादा लेती हैं। अगर रोडवेज बस स्टैंड शुरू हो जाए, तो हमें बहुत राहत मिलेगी।"
सरकार से उम्मीद, बदलाव की आसठाकुरद्वारा के लोग अब सरकार से उम्मीद लगाए बैठे हैं कि उनकी इस समस्या का समाधान जल्द होगा। शिवेंद्र बंधु गुप्ता ने कहा कि वे इस मुद्दे को विधानसभा तक ले जाएंगे और तब तक चुप नहीं बैठेंगे, जब तक बस स्टैंड को सुचारू नहीं किया जाता। स्थानीय लोगों का मानना है कि अगर सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठाए, तो न केवल उनकी परेशानी कम होगी, बल्कि क्षेत्र का विकास भी होगा।
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