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इस्लामिक देश में हिजाब पर रोक! कौन-कौन से मुस्लिम मुल्क कर चुके हैं ऐसा फैसला?

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कजाखस्तान, मध्य एशिया का एक मुस्लिम बहुल देश, ने हाल ही में एक ऐसा फैसला लिया है, जिसने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है। देश के प्रधानमंत्री कासिम जोमार्ट तोकायेव ने एक नए कानून को मंजूरी दी है, जिसके तहत सार्वजनिक स्थानों पर चेहरा ढकना प्रतिबंधित होगा। यह निर्णय न केवल कजाखस्तान के सामाजिक परिदृश्य में एक बड़ा बदलाव लाने वाला है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी इसकी चर्चा हो रही है। आइए, इस फैसले के पीछे की वजहों, इसके प्रभावों और समाज पर पड़ने वाले असर को गहराई से समझते हैं।

चेहरा ढकने पर रोक: क्यों लिया गया यह फैसला?

कजाखस्तान सरकार ने इस कानून को लागू करने के पीछे सुरक्षा और तकनीकी कारणों को प्रमुखता दी है। सरकार का कहना है कि चेहरा ढकने से फेशियल रिकॉग्निशन तकनीक प्रभावित होती है, जो आधुनिक सुरक्षा व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हवाई अड्डों, रेलवे स्टेशनों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर यह तकनीक संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखने में मदद करती है। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि कुछ विशेष परिस्थितियों, जैसे कि बीमारी, खराब मौसम, या खेलकूद की गतिविधियों में चेहरा ढकने की अनुमति होगी, लेकिन सामान्य परिस्थितियों में यह पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा।

सांस्कृतिक और सामाजिक प्रभाव

कजाखस्तान में इस कानून का प्रभाव समाज के विभिन्न वर्गों पर अलग-अलग तरीके से पड़ सकता है। इस्लामिक परंपराओं में हिजाब और नकाब का विशेष महत्व रहा है, और कई महिलाएं इसे अपनी पहचान और आस्था का हिस्सा मानती हैं। ऐसे में, इस फैसले से कुछ समुदायों में असंतोष की भावना पैदा हो सकती है। हालांकि, सरकार ने इस बात पर जोर दिया है कि यह कानून किसी धार्मिक समुदाय को लक्षित नहीं करता, बल्कि इसका उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा और तकनीकी प्रगति को बढ़ावा देना है।

वहीं, कुछ लोग इस फैसले को आधुनिकता की ओर एक कदम मान रहे हैं। कजाख Facials recognition तकनीक के प्रभावी होने से कजाखस्तान जैसे देशों में सुरक्षा के लिए चेहरा पहचान की प्रणाली महत्वपूर्ण हो गई है, और इस कानून को इसे और मजबूत करने के कदम के रूप में देखा जा रहा है। यह बदलाव कजाखस्तान की सामाजिक और सांस्कृतिक गतिशीलता को एक नई दिशा दे सकता है।

वैश्विक चर्चा और भविष्य की संभावनाएं

यह कानून न केवल कजाखस्तान में, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी बहस का विषय बन गया है। कई देशों में चेहरा ढकने को लेकर पहले से ही विवाद चल रहे हैं, और कजाखस्तान का यह कदम उन चर्चाओं को और हवा दे सकता है। क्या यह कानून अन्य मुस्लिम बहुल देशों के लिए एक मिसाल बनेगा? या फिर यह स्थानीय स्तर पर सामाजिक तनाव को बढ़ाएगा? इन सवालों के जवाब भविष्य में ही मिलेंगे, लेकिन यह निश्चित है कि कजाखस्तान का यह निर्णय विश्व स्तर पर नीति-निर्माताओं और समाजशास्त्रियों के लिए एक महत्वपूर्ण अध्ययन का विषय बन गया है।

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