राकेश पाण्डेय
सुप्रीम कोर्ट ने देश भर के प्राथमिक और जूनियर शिक्षकों के लिए एक बड़ा और अहम फैसला सुनाया है। कक्षा एक से आठ तक पढ़ाने वाले सभी शिक्षकों को अब अगले दो साल में टीईटी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) पास करना होगा। अगर वे ऐसा नहीं कर पाए, तो उनकी नौकरी खतरे में पड़ सकती है! यह नियम उन शिक्षकों पर भी लागू होगा, जिनकी नियुक्ति शिक्षा के अधिकार (आरटीई) कानून लागू होने से पहले हुई थी। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि यह नियम पूरे देश में एकसमान लागू होगा।
नौकरी बचाने के लिए टीईटी जरूरी, प्रमोशन भी रुकेगा!सोमवार को जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस मनमोहन की पीठ ने देश के कई हाई कोर्ट के फैसलों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने 110 पेज के विस्तृत फैसले में साफ किया कि अगर शिक्षक टीईटी पास नहीं करते, तो न सिर्फ उनकी नौकरी जा सकती है, बल्कि प्रमोशन भी नहीं मिलेगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि जिन शिक्षकों की नौकरी में अभी पांच साल से ज्यादा समय बचा है, उन्हें भी इस परीक्षा को पास करना अनिवार्य होगा।
अल्पसंख्यक संस्थानों का मामला अलग, बड़ी पीठ करेगी विचारअल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों में पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिए टीईटी की अनिवार्यता का मुद्दा भी इस फैसले में उठा। चाहे वे धार्मिक अल्पसंख्यक संस्थान हों या भाषाई, कोर्ट ने इस मामले को विचार के लिए बड़ी पीठ को भेज दिया है। कोर्ट ने इसके लिए कुछ खास सवाल भी तय किए हैं, जिन पर बड़ी पीठ विचार करेगी और उचित आदेश देगी। इस मामले को चीफ जस्टिस के सामने पेश करने का आदेश दिया गया है।
आरटीई कानून का पालन अनिवार्यअल्पसंख्यक संस्थानों को छोड़कर बाकी सभी स्कूलों के लिए कोर्ट ने साफ किया कि शिक्षा के अधिकार (आरटीई) कानून की धारा 2(एन) का पालन करना होगा। कोर्ट ने कहा कि चाहे शिक्षक कितने समय से नौकरी कर रहे हों, टीईटी पास करना उनकी नौकरी बरकरार रखने के लिए जरूरी है। हालांकि, कोर्ट ने उन शिक्षकों की मुश्किलों को भी समझा, जो आरटीई कानून लागू होने से पहले से पढ़ा रहे हैं। खासकर उन शिक्षकों के लिए, जो दो-तीन दशक से बिना किसी शिकायत के बच्चों को पढ़ा रहे हैं।
पुराने शिक्षकों को राहत की उम्मीद?कोर्ट ने माना कि जिन शिक्षकों ने टीईटी पास नहीं किया, उनके पढ़ाए बच्चे भी जीवन में कामयाब हो रहे हैं। ऐसे में, सिर्फ टीईटी पास न करने की वजह से उन्हें नौकरी से हटाना थोड़ा सख्त कदम हो सकता है। फिर भी, कोर्ट ने टीईटी को अनिवार्य रखा है ताकि शिक्षा की गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सके। यह फैसला शिक्षकों के लिए एक बड़ा बदलाव लाने वाला है और इसे लागू करने के लिए दो साल का समय दिया गया है।
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