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हिन्दी कविता : योग, जीवन का संगीत

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तन से मन का, मन से आत्मा का,

सुंदर संगम है ये योग।

श्वास-श्वास में प्राण ऊर्जा,

मिटाता हर दुःख और रोग।

सुबह की पहली किरण संग,

जब आसन पर बैठें हम।

शांत हो जाए मन का शोर,

दूर हो जाएं हर भ्रम।

भुजंगासन सा उठना,

पर्वतासन सा स्थिर होना।

वृक्षासन सी दृढ़ता,

पावन पवनमुक्तासन सा निर्मल होना।

हर मुद्रा में छिपा है गहरा राज,

हर श्वास में है जीवन का साज।

मन की चंचलता को ये बांधे,

चित्त को ये स्थिरता से साधे।

सूर्य नमस्कार की हर भंगिमा में,

छिपी है ऊर्जा, जीवन की गरिमा में।

प्राणायाम से जब शुद्ध हो काया,

तब दिखे जग में प्रभु की माया।

ये न केवल एक व्यायाम है,

ये जीवन का अद्भुत आयाम है।

खुद से खुद को मिलाने की युक्ति,

हर बंधन से पाने की मुक्ति।

आओ, इस पावन पथ पर चलें हम,

योग से जीवन को संवारें हर दम।

शांत, स्वस्थ और खुशहाल बने जीवन,

योग ही है अब सबका आराध्य, सबका अर्चन।

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